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- 1 मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे / दुष्यंत कुमार
- 2 आज सड़कों पर / दुष्यंत कुमार
- 3 हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए / दुष्यंत कुमार
- 4 इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और / दुष्यंत कुमार
- 5 चांदनी छत पे चल रही होगी / दुष्यंत कुमार
- 6 मत कहो, आकाश में कुहरा घना है / दुष्यंत कुमार
- 7 पुराने पड़ गये डर, फेंक दो तुम भी / दुष्यंत कुमार
- 8 मरना लगा रहेगा यहाँ जी तो लीजिए / दुष्यंत कुमार
- 9 कहीं पे धूप / दुष्यंत कुमार
- 10 ये रौशनी है हक़ीक़त में एक छल, लोगो / दुष्यंत कुमार
- 11 भूख है तो सब्र कर / दुष्यंत कुमार
- 12 अपाहिज व्यथा को वहन कर रहा हूँ / दुष्यंत कुमार
- 13 परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं / दुष्यंत कुमार
- 14 खँडहर बचे हुए हैं, इमारत नहीं रही / दुष्यंत कुमार
- 15 देख, दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली / दुष्यंत कुमार
- 16 इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है / दुष्यंत कुमार
- 17 ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा / दुष्यंत कुमार
- 18 कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं / दुष्यंत कुमार
- 19 कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए / दुष्यंत कुमार
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