Dushyant Kumar Ghazal दुष्यंत कुमार ग़ज़ल / ग़ज़लें

  1. मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे / दुष्यंत कुमार
  2. आज सड़कों पर / दुष्यंत कुमार
  3. हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए / दुष्यंत कुमार
  4. इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और / दुष्यंत कुमार
  5. चांदनी छत पे चल रही होगी / दुष्यंत कुमार
  6. मत कहो, आकाश में कुहरा घना है / दुष्यंत कुमार
  7. पुराने पड़ गये डर, फेंक दो तुम भी / दुष्यंत कुमार
  8. मरना लगा रहेगा यहाँ जी तो लीजिए / दुष्यंत कुमार
  9. कहीं पे धूप / दुष्यंत कुमार
  10. 10 ये रौशनी है हक़ीक़त में एक छल, लोगो / दुष्यंत कुमार
  11. 11 भूख है तो सब्र कर / दुष्यंत कुमार
  12. 12 अपाहिज व्यथा को वहन कर रहा हूँ / दुष्यंत कुमार
  13. 13 परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं / दुष्यंत कुमार
  14. 14 खँडहर बचे हुए हैं, इमारत नहीं रही / दुष्यंत कुमार
  15. 15 देख, दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली / दुष्यंत कुमार
  16. 16 इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है / दुष्यंत कुमार
  17. 17 ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा / दुष्यंत कुमार
  18. 18 कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं / दुष्यंत कुमार
  19. 19 कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए / दुष्यंत कुमार


Dushyant Kumar
दुष्यंत कुमार 
जन्म:१९३३
मृत्यु:१९७५
कार्यक्षेत्र:कवि
राष्ट्रीयता:भारतीय
भाषा:हिंदी-उर्दू

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